मानिला में 12जून से होगा भव्य रामलीला मंचन का आयोजन


त्रिधारा न्यूज-
अल्मोड़ा जिले के मानिला में सुप्रसिद्ध रामलीला का मंचन 12 जून से होने जा रहा है। जिसके लिए इन दिनों पात्रों को तालीम दी जा रही है।
  मानिला की रामलीला जो अपनी अनूठी मधुरमय संगीत शैली के अलावा क्षेत्र के विकास में स्तंभ की भांति वर्षों से अपने योगदान के लिए जानी जाती रही है। मुख्यतः मई-जून में होने वाली यह 10 दिवसीय रामलीला का इतिहास तकरीबन 60 साल पुराना है।  
  क्षेत्र में पहले प्राइमरी विद्यालय से महाविद्यालय तक के निर्माण और विकास में इस मंचन से प्राप्त संगठनात्मक और आर्थिक सहयोग सदैव मानिला क्षेत्र के विकास के लिए रीढ़ साबित हुआ है। इस वर्ष भी रामलीला मंचन का आयोजन सिद्धेश्वर मंदिर जीर्णोधार हेतु किया जा रहा है ।
    मानिला में रामलीला के लिए बल्लियों और तख्तों,चानडी के अस्थाई मंच से शुरू हुआ सिलसिला आज इस मंच को समस्त क्षेत्र के धार्मिक सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में स्थापित कर चुका है। 
   मंच हर वर्ष नए कलाकारों को उभारता है छोटी उम्र से ही क्षेत्र के बालक बालिकाओं को नृत्य,‌गायन व अभिनय की कला में निपुण बनाता रहा है। इस वर्ष भी रामलीला का आयोजन 12 जून से किया जाना है।
   यूं तो देश भर में रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण की मूल कथावस्तु पर आधारित नाटक की प्रस्तुति रामलीला के रूप में की जाती है।  
   मुख्यतः यह शारदीय नवरात्रों की प्रथम तिथि से आरंभ होकर दशहरा के अवसर पर रावण दहन के साथ समाप्त होती है मगर उत्तराखंड के कई पहाड़ी क्षेत्रों में इसका आयोजन मई और जून के माह में किया जाता है । 

रामलीला का जून माह में आयोजन ? 
 ‌मौसम की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों में पहाड़ी क्षेत्रों में हाड़ कपा देने वाली ठंड होती है। जिस कारण लोग रात को घरों से बाहर नहीं निकाल पाते हैं। वही जून माह में सर्दियों समाप्त हो चुकी होती हैं और यह वह समय होता है जब हर पहाड़ी व्यक्ति उमंग और उल्लास से लबरेज़ रहता है, और इसी बीच प्रवासी जन भी अपने मूल गांव का रुख करते हैं। इसी दौरान पहाड़ों में शादी विवाहों का आयोजन भी होता है और धार्मिक अनुष्ठान जिसमें जागरी, कथाएं इत्यादि सम्मिलित हैं का आयोजन किया जाता है। रोजगार और शिक्षा के लिए शहरों में गए प्रवासी भी गांव का रुख करते हैं, जून माह में रामलीला मंचन होने से अधिक मात्रा में दर्शक भी पहुंचते हैं और प्रवासियों को भी लौटकर मंचन का आनंद लेने का अवसर मिलता है। मौसम में गर्माहट होने से पात्रों में भी उत्साह होता है और दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र से भी लोग मंचन देखने पहुंच पाते हैं। 
समिति के अध्यक्ष रमेश लखचौरा ने बताया कि 12 जून से मानिला रंगमंच पर प्रभु श्रीराम की सुन्दर लीला का मंचन क्षेत्र के युवा कलाकारों द्वारा किया जायेगा। जिसके लिए 10 मई से क्षेत्र के युवा कलाकारों को अनुभवी लोगों द्वारा तालीम दी जा रही है। साथ ही क्षेत्र के नये युवा कलाकारों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। 
    समिति के सदस्यों द्वारा रामलीला को दिव्या और भव्य बनाने व सिद्धेश्वर मंदिर जीर्णोधार हेतु क्षेत्रवासियों से तन मन धन से सहयोग करने की अपील भी की जा रही है।

मानिला की 10 दिवसीय भव्य रामलीला के कुछ दृश्य https://www.youtube.com/playlist?list=PL3EMUMWgwahkF3zW0F6VTX37ypZW-v2CZ


मंचन का अनूठा समय ( रात्री 10 से सुबह 4 तक ) 
  मानिला की रामलीला सिर्फ आयोजन की तिथियौ के लिए ही नहीं बल्कि मंचन की समयावधि के लिए भी विशिष्ट है । इसका आयोजन सामान्यतः रात्रि 10:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक किया जाता है। समिति के पदाधिकारी बताते हैं की रामलीला लगभग आधी शताब्दी पूर्व से होती आई है। उस दौर में दूर-दूर के ग्रामीण क्षेत्र से लोग मंचन का आनंद लेने आते थे, उस समय ना यातायत के इतने साधन विकसित थे ना ही मार्गो में प्रकाश की व्यवस्था के इन्तजाम । ऐसे में सायं के समय से ही लोग पहुंचने लगते थे और मंचन रात्रि भर चलकर सुबह 4:00 बजे समाप्त किया जाता था। ताकि सुबह को तमाम दर्शक सूर्योदय होने पर अपने घर को लौट सकें जिससे की जंगली मार्गो से गुजरते वक्त किसी भी प्रकार का कोई खतरा न हो। 
    वही रामलीला के मंचन के समय विभिन्न दृश्यों के बीच होने वाले अंतराल में लोक कलाकारों को भी मंच पर आने का अवसर दिया जाता है, ताकि वह अपनी कला को निखार सके। 

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